अगर 80 साल तक जीने की करते है चाह तो करे ये उपाय ।

आजकल खान पान की वजह से लोगो की उम्र घटती जा रही हैं। ऐसा कौन होगा जो 80 साल तक जीने की इच्‍छा ना रखता हो। लेकिन आजकल 50- 55 के बाद लोग ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, डायबिटीज आदि बीमारियों के अलावा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में भी आ जाते हैं।



ये ऐसे टिप्‍स हैं जिन्‍हें डॉक्‍टर्स ने बताया है। उनका कहना है कि ऐसा करने से आयु लंबी हो जाती है।


जानकारी के अनुसार हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.के.के. अग्रवाल का कहना है,‘दिल को स्वस्थ रखने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की जरूरत है। डॉक्टर के रूप में, हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम मरीजों को स्वस्थ जीवनशैली जीने के लिए प्रेरित करें, ताकि वे बुढ़ापे में बीमारियों के बोझ से बच सकें. मैं अपने मरीजों को 80 साल की उम्र तक जीने के लिए 80 का फॉर्मूला सिखाता हूं।


80 साल जीने के टिप्स



  1. लो ब्लड प्रेशर, लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) बैड कोलेस्ट्रॉल, फास्ट शुगर, हार्ट रेट को 80 से नीचे रखें।

  2. दिल की कंडीशनिंग वाले व्यायाम करते समय लक्ष्य हृदय गति 80 प्रतिशत रखें। जरूरी है नियमित व्यायाम करना। कसरत नहीं, जिम वाला व्यायाम नहीं, अखाड़े वाला व्यायाम नहीं, योग के आसन भी नहीं। बस योग का अंग संचालन करना है।

  3. आपने ये तो सुना ही है जल ही जीवन है। जल, वायु और अन्न से ही शरीर बनता और बिगड़ता है। जल योग न केवल उच्च रक्तचाप, कब्ज, गैस आदि बीमारियों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि यह हमारी हड्डियों, मस्तिष्क और हृदय को मजबूत बनाने में भी खास भूमिका निभाता है। जल का अलग-अलग तरह से सेवन करने से सभी तरह के रोग में लाभ मिलता है। जल से ही योग में गणेश क्रिया, जलनेति, धौति क्रिया और वमन क्रिया की जाती है। शरीर में 10 छिद्र हैं। 2 आंखें, नाक के 2 और कान के 2 छिद्र के अलावा मुंह, ‍लिंग और गुदा के छिद्र मिलाकर कुल 10। इन छिद्रों को 10 बार पानी से अच्छे से धोने से उनमें किसी भी प्रकार का विकार नहीं रह जाता।

  4. किडनी और फेफड़े के कार्य 80 प्रतिशत से ऊपर रखें।

  5.  प्रतिदिन 80 मिनट पैदल चलें, कम से कम 80 कदम प्रति मिनट की गति से 80 मिनट प्रति सप्ताह पैदल चलें।

  6. कम खाएं और प्रत्येक भोजन में कम 80 ग्राम या एमएल कैलोरी लें।

  7. निर्धारित होने पर रोकथाम के लिए 80 मिलीग्राम एटोरवास्टेटिन लें, शोर का स्तर 80 डीबी से कम रखें।

  8. पार्टिकुलेट मैटर पीएम 2.5 और पीएम 10 के स्तर को 80 एमसीजी प्रति क्यूबिक मीटर से नीचे रखें।